आनन्द पुरोहित की कलम से... जय श्री कृष्ण ज्ञान की शुरुआत अक्षरों से भले हो, अंको को भले सीखें लेकिन नैतिकता के बिना सब गौण हैं। किसी राष्ट्र के विकास में सबसे महत्वपूर्ण योगदान उस देश के नागरिकों का ही होता है और जब तक उस देश के नागरिक खुद यह न सोचे कि वह अपने और अपने देश के लिए कर रहे हैं तब तक किसी देश के विकास के बारे में सोचना मात्र एक कल्पना ही है। हम अक्सर देखते हैं कि हमारी हर जरूरत पर हमारी नजर सरकार पर होती है, कभी अंदाजा लगाएं की 130 से 140 करोड़ की आबादी वाले इतने बड़े देश का शासन प्रशासन कितने लोग चला रहे हैं ? वास्तव में शासन और प्रशासन हमें दे क्या रहे हैं ? हमारी ठीक वैसे ही स्थिति है जैसे ठंड से ठिठुरती हुए हुई भेड़ों को उन्हीं की ऊन से बने कम्बलें ओढा दी जाती है। हम टैक्स देते हैं बेहतर जीवन स्तर के लिए, मूलभूत सुविधाओं के लिए, आधारभूत ढांचे के लिए, सड़कें बनें, पुल बनें, अच्छा पीने का पानी हो, निर्बाध बिजली मिले, रहने को घर हो, शिक्षा, चिकित्सा, कानून व्यवस्था सब कुछ बेहतर हो, लेकिन निशुल्क सुविधाओं की लालसा हमें आगे बढ़ने से रोक रही हैं। वर्तमान परिपेक्ष में देखें तो
This is my first post and today i created my blog and i don't know how to link my blogs with others.